विभिन्न धार्मिक ग्रन्थों में अभिव्यक्त हुए भक्ति के सार पर स्वामी तेजोमयानन्दजी के विचारों का मंथन है - भक्ति सुधा |
भगवान के प्रति भक्ति, पूर्ण संतुष्ट है एवं हमारे समस्त सांसारिक उपलब्धियों को सौंदर्य प्रदान करने वाली है |
भक्ति के द्वारा कुछ भी प्राप्त किया जा सकता है एवं केवल भक्ति ही विजेता है |
B2005VARIANT | SELLER | PRICE | QUANTITY |
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विभिन्न धार्मिक ग्रन्थों में अभिव्यक्त हुए भक्ति के सार पर स्वामी तेजोमयानन्दजी के विचारों का मंथन है - भक्ति सुधा |
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