परम पूज्य स्वामी सुबोधानन्दजी के गहन, गंभीर और चिन्तनशील प्रवचनों के संग्रह की चतुर्थ कड़ी|
श्रीमद् भगवद् गीता के चतुर्थ अध्याय का नाम है, ज्ञानकर्मसन्न्यासयोग:|
ज्ञानकर्म संन्यास का अर्थ है, ज्ञानेन कर्म सन्न्यासः| इस एक शब्द में चतुर्थ अध्याय के सारे विषय का निरूपण किया गया है| ज्ञान के द्वारा कर्म का संन्यास किस प्रकार से होता है, यह चतुर्थ अध्याय का मूल प्रतिपादन है|
G2017
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परम पूज्य स्वामी सुबोधानन्दजी के गहन, गंभीर और चिन्तनशील प्रवचनों के संग्रह की चतुर्थ कड़ी|
श्रीमद् भगवद् गीता के चतुर्थ अध्याय का नाम है, ज्ञानकर्मसन्न्यासयोग:|
ज्ञानकर्म संन्यास का अर्थ है, ज्ञानेन कर्म सन्न्यासः| इस एक शब्द में चतुर्थ अध्याय के सारे विषय का निरूपण किया गया है| ज्ञान के द्वारा कर्म का संन्यास किस प्रकार से होता है, यह चतुर्थ अध्याय का मूल प्रतिपादन है|