श्रीमद्भगवद्गीता के पञ्चदश अध्याय पुरुषोत्तमयोगपर स्वामी सुबोधानंदजी के सुश्राव्य और बोधप्रद प्रवचन |
प्रस्थानत्रयी - श्रीमद्भगवद्गीता, उपनिषद्, ब्रह्मसूत्र, इस वाङ्मय आधारशिला पर सनातन वैदिक धर्म चिरस्थित है। इनमें से श्रीमद्भगवद्गीता मानव जीवन के हर स्तर की समस्याओं के समाधान को उजागर करती हुई सभी साधकों को आध्यात्मिक साधना की गहराई को छूने के लिए मार्गदर्शन करती हुई भवद्वेषिणी के रूप में प्रस्तुत है।
इस गीता के तात्पर्य का अवबोधन जगद् गुरु भगवान श्रीकृष्ण के हृदय के साथ तदाकारता हुए बिना बड़ा कठिन है। यह तात्पर्य चिन्मय मिशन सिद्धबाड़ी के ब्रह्मलीन पूज्य स्वामी सुबोधानंदजी के प्रवचनों की विद्वत्तापूर्ण शैली से सुज्ञ साधकों को अवगत होता है। पूज्य स्वामीजी के गहन गंभीर चिंतनशील प्रवचनों के संग्रह की पञ्चदश कड़ी श्रीगुरुतत्त्व को समर्पित करते हैं।
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श्रीमद्भगवद्गीता के पञ्चदश अध्याय पुरुषोत्तमयोगपर स्वामी सुबोधानंदजी के सुश्राव्य और बोधप्रद प्रवचन |
प्रस्थानत्रयी - श्रीमद्भगवद्गीता, उपनिषद्, ब्रह्मसूत्र, इस वाङ्मय आधारशिला पर सनातन वैदिक धर्म चिरस्थित है। इनमें से श्रीमद्भगवद्गीता मानव जीवन के हर स्तर की समस्याओं के समाधान को उजागर करती हुई सभी साधकों को आध्यात्मिक साधना की गहराई को छूने के लिए मार्गदर्शन करती हुई भवद्वेषिणी के रूप में प्रस्तुत है।
इस गीता के तात्पर्य का अवबोधन जगद् गुरु भगवान श्रीकृष्ण के हृदय के साथ तदाकारता हुए बिना बड़ा कठिन है। यह तात्पर्य चिन्मय मिशन सिद्धबाड़ी के ब्रह्मलीन पूज्य स्वामी सुबोधानंदजी के प्रवचनों की विद्वत्तापूर्ण शैली से सुज्ञ साधकों को अवगत होता है। पूज्य स्वामीजी के गहन गंभीर चिंतनशील प्रवचनों के संग्रह की पञ्चदश कड़ी श्रीगुरुतत्त्व को समर्पित करते हैं।