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हस्तामलक भगवान श्री शंकराचार्य जी के शिष्य थे | उन्हें बालपन में ही आत्मसाक्षातकार हो गया था | गुरु शिष्य के मध्य हुये संवाद मैं आत्मज्ञान हथेली पर रखे आँवले की तरह (करतलामलकवत) स्पष्ट रूप में  शब्दांकित है | भगवान शंकराचार्य विरचित इन श्लोकों पर संत एकनाथ महाराज ने मराठी भाषा में ओवीबध्द टीका लिखकर विस्तृत व्याख्या की है | प्रस्तुत पुस्तक में मूल हस्तामलक स्तोत्र, संत एकनाथ महाराज के सदर्भित ओवी पद तथा परमपूज्य स्वामी पुरुषोत्तमानंदाजी के चिंतन का समावेश बड़े सुन्दर ढंग से किया गया है |

ग्रन्थ छोटा होते हुये भी अध्यात्मिक साधना की दॄष्टि से अंत्यत महत्वपूर्ण है | इसका गहन अध्ययन व मनन जिज्ञासू साधकों के लिये अतिशय लाभकारी व सहायक है | परमतत्व के साक्षात्कार की दॄष्टि से यह बहुमूल्य ग्रंथ है |

H2007
in stockINR 35
Chinmaya Prakashan
1 1
Hastamalaka Stotram (हिंदी)

Hastamalaka Stotram (हिंदी)

SKU: H2007
₹35
Publisher: Chinmaya Prakashan
ISBN: 978-81-7597-264-3
Language: Hindi
Author: Swami Purushottamananda
Binding: Paperback
Tags:
  • Spirituality, Spiritual Knowledge, Philosophy, Awakening
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Description of product

हस्तामलक भगवान श्री शंकराचार्य जी के शिष्य थे | उन्हें बालपन में ही आत्मसाक्षातकार हो गया था | गुरु शिष्य के मध्य हुये संवाद मैं आत्मज्ञान हथेली पर रखे आँवले की तरह (करतलामलकवत) स्पष्ट रूप में  शब्दांकित है | भगवान शंकराचार्य विरचित इन श्लोकों पर संत एकनाथ महाराज ने मराठी भाषा में ओवीबध्द टीका लिखकर विस्तृत व्याख्या की है | प्रस्तुत पुस्तक में मूल हस्तामलक स्तोत्र, संत एकनाथ महाराज के सदर्भित ओवी पद तथा परमपूज्य स्वामी पुरुषोत्तमानंदाजी के चिंतन का समावेश बड़े सुन्दर ढंग से किया गया है |

ग्रन्थ छोटा होते हुये भी अध्यात्मिक साधना की दॄष्टि से अंत्यत महत्वपूर्ण है | इसका गहन अध्ययन व मनन जिज्ञासू साधकों के लिये अतिशय लाभकारी व सहायक है | परमतत्व के साक्षात्कार की दॄष्टि से यह बहुमूल्य ग्रंथ है |

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