सर्वव्यापी सत्य से स्वयं का तादात्म्य करना आत्म तत्त्व से साक्षात्कार करना है | समस्त दृश्य जगत में आत्म तत्त्व को देखना नानात्व पूर्ण बाह्यजगत में सत्य का दर्शन है | यही इस उपनिषद का मुख्या विषय है |
I2001VARIANT | SELLER | PRICE | QUANTITY |
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सर्वव्यापी सत्य से स्वयं का तादात्म्य करना आत्म तत्त्व से साक्षात्कार करना है | समस्त दृश्य जगत में आत्म तत्त्व को देखना नानात्व पूर्ण बाह्यजगत में सत्य का दर्शन है | यही इस उपनिषद का मुख्या विषय है |