ईश्वर दर्शन युवा साधक सुब्रहण्या की जन्मस्थली केरल से प्रारंभ होकर परम वैराग्य के मूर्तिमान रूप स्वामी तपोवन महाराज तक की यात्रा का विस्तृत वर्णन है | इस में उनके आध्यात्मिक विचारों और अनुभवों का साधना की दॄष्टि से विवेचन अत्यन्त लाभदायक है |
संन्यास लेने के बाद स्वामीजी का पूरा जीवन हिमालय की असीम सुन्दरता में ईश्वर के दर्शन करते हुए ही व्यतीत हुआ | हिमालय क्षेत्र में उनकी कोई महान संताओ से भेट व् वेदान्त चर्चा हुई. इन सभी संस्मरणों का वर्णन अत्यंत्न रोचक व् शिक्षापद है |
I2003
VARIANT | SELLER | PRICE | QUANTITY |
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ईश्वर दर्शन युवा साधक सुब्रहण्या की जन्मस्थली केरल से प्रारंभ होकर परम वैराग्य के मूर्तिमान रूप स्वामी तपोवन महाराज तक की यात्रा का विस्तृत वर्णन है | इस में उनके आध्यात्मिक विचारों और अनुभवों का साधना की दॄष्टि से विवेचन अत्यन्त लाभदायक है |
संन्यास लेने के बाद स्वामीजी का पूरा जीवन हिमालय की असीम सुन्दरता में ईश्वर के दर्शन करते हुए ही व्यतीत हुआ | हिमालय क्षेत्र में उनकी कोई महान संताओ से भेट व् वेदान्त चर्चा हुई. इन सभी संस्मरणों का वर्णन अत्यंत्न रोचक व् शिक्षापद है |