मानस के मोती - स्वामी सुबोधानंदजी (प्रमुख आचार्य, सांदीपनी हिमालय) के तुलसी रामायण पर किए गए ज्ञान यज्ञाें का संकलन है |
इन ज्ञानयज्ञाें में मानस के आध्यात्मिक, दार्शनिक, साहित्यिक और सामाजिक पहलुओं पर विशेष विवेचना की गई है |
प्रथम भाग में चार प्रसगों का निरुपण है - भरत चरित्र (अयोद्या काण्ड), श्री राम गीता तथा नवधाभक्ति का उपदेश (अरण्य काण्ड) और सुग्रीव की शरणागति (किष्किंधाकांड)|
द्वितीय भाग में चार प्रसगों का निरूपण है - हनुमान चरित्र (सूंदर काण्ड), विश्वामित्र यज्ञरक्षा (बाल काण्ड), श्री राम वाल्मिकी संवाद (अयोद्या काण्ड), और कागमुशुंडि चरित्र (उत्तर काण्ड)|
तृतीय भाग में पांच प्रसगों का निरूपण है - लक्ष्मण चरित्र, लक्ष्मण गीता (अयोद्या काण्ड), विभीषण गीता (लंका काण्ड), सती पार्वती प्रसंग (बाल काण्ड) और उत्तर काण्ड|
चतृर्थ भाग में प्रभु श्रीराम का सुमधुर लीलामृत है जिसे पाठकों के लिए एक अनूठे रूप में प्रस्तुत किया गया है - बाल राम (बाल काण्ड), युवा राम (अयोद्या काण्ड), वनवासी राम (अरण्य काण्ड), शरणागत वत्सल राम (सूंदर काण्ड), रणवीर राम (लंका काण्ड), और राजा राम (उत्तर काण्ड)|
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मानस के मोती - स्वामी सुबोधानंदजी (प्रमुख आचार्य, सांदीपनी हिमालय) के तुलसी रामायण पर किए गए ज्ञान यज्ञाें का संकलन है |
इन ज्ञानयज्ञाें में मानस के आध्यात्मिक, दार्शनिक, साहित्यिक और सामाजिक पहलुओं पर विशेष विवेचना की गई है |
प्रथम भाग में चार प्रसगों का निरुपण है - भरत चरित्र (अयोद्या काण्ड), श्री राम गीता तथा नवधाभक्ति का उपदेश (अरण्य काण्ड) और सुग्रीव की शरणागति (किष्किंधाकांड)|
द्वितीय भाग में चार प्रसगों का निरूपण है - हनुमान चरित्र (सूंदर काण्ड), विश्वामित्र यज्ञरक्षा (बाल काण्ड), श्री राम वाल्मिकी संवाद (अयोद्या काण्ड), और कागमुशुंडि चरित्र (उत्तर काण्ड)|
तृतीय भाग में पांच प्रसगों का निरूपण है - लक्ष्मण चरित्र, लक्ष्मण गीता (अयोद्या काण्ड), विभीषण गीता (लंका काण्ड), सती पार्वती प्रसंग (बाल काण्ड) और उत्तर काण्ड|
चतृर्थ भाग में प्रभु श्रीराम का सुमधुर लीलामृत है जिसे पाठकों के लिए एक अनूठे रूप में प्रस्तुत किया गया है - बाल राम (बाल काण्ड), युवा राम (अयोद्या काण्ड), वनवासी राम (अरण्य काण्ड), शरणागत वत्सल राम (सूंदर काण्ड), रणवीर राम (लंका काण्ड), और राजा राम (उत्तर काण्ड)|