पुरुषसूक्तम उस अनन्त सत्य की स्तुति का स्तोत्र है, जो अपने को स्वयं अपनी रचनात्मकता के द्वारा अभिव्यक्त करता है | यह ऋग्वेद के सुप्रसिद्ध स्तोत्रों में से एक है, जिसे व्यापक रूप में से भक्तों के द्वारा गाये जाने का विशेषाधिकार प्राप्त है |
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पुरुषसूक्तम उस अनन्त सत्य की स्तुति का स्तोत्र है, जो अपने को स्वयं अपनी रचनात्मकता के द्वारा अभिव्यक्त करता है | यह ऋग्वेद के सुप्रसिद्ध स्तोत्रों में से एक है, जिसे व्यापक रूप में से भक्तों के द्वारा गाये जाने का विशेषाधिकार प्राप्त है |