गोस्वामी तुलसीदासजी की सुप्रसिद्ध रचनाओं में से एक "संकट मोचन", "हनुमान अष्टकम" नाम से भी जानी जाती है, यह भक्ति के सुप्रसिद्ध शास्त्र "श्रीहनुमान चालीसा" का ही अनुगमन करने वाली रचना है| यह रचना करुणामूर्ति श्रीहनुमानजी - जो की महान आध्यात्मिक विभूतियों तक की विपत्तियों को भी दूर कर देने के लिए सुप्रसिद्ध हैं - से एक वेदनापूर्ण ह्रदय की मर्मस्पर्शी अनुनय पूर्ण याचना है| यह रहस्यपूर्ण तरीके से हमारे आतंरिक बंधनों एवं दुखों के कारण को उद्घाटित करती है, साथ ही यह भी बताती है कि इन सबको प्रभाविरूप से किस प्रकार समाप्त किया जा सकता है|
स्वामी स्वरूपानंदजी अपने प्रवचनों में केवल इन पदों में निहित सुन्दर भावों को उनके आध्यात्मिक प्रतीकों सहित प्रकट ही नहीं करते, अपितु अपने श्रोताओं को उनके जीवन के कष्टों का हरण करने और प्रभु श्रीरामजी के अत्यंत निराले भक्त के चरण में शांति पाने के लिए संकट मोचन (दुखहर्ता) श्रीहनुमानजी का सक्रिय रूप से आवाहन करने को प्रेरित भी करते हैं|
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गोस्वामी तुलसीदासजी की सुप्रसिद्ध रचनाओं में से एक "संकट मोचन", "हनुमान अष्टकम" नाम से भी जानी जाती है, यह भक्ति के सुप्रसिद्ध शास्त्र "श्रीहनुमान चालीसा" का ही अनुगमन करने वाली रचना है| यह रचना करुणामूर्ति श्रीहनुमानजी - जो की महान आध्यात्मिक विभूतियों तक की विपत्तियों को भी दूर कर देने के लिए सुप्रसिद्ध हैं - से एक वेदनापूर्ण ह्रदय की मर्मस्पर्शी अनुनय पूर्ण याचना है| यह रहस्यपूर्ण तरीके से हमारे आतंरिक बंधनों एवं दुखों के कारण को उद्घाटित करती है, साथ ही यह भी बताती है कि इन सबको प्रभाविरूप से किस प्रकार समाप्त किया जा सकता है|
स्वामी स्वरूपानंदजी अपने प्रवचनों में केवल इन पदों में निहित सुन्दर भावों को उनके आध्यात्मिक प्रतीकों सहित प्रकट ही नहीं करते, अपितु अपने श्रोताओं को उनके जीवन के कष्टों का हरण करने और प्रभु श्रीरामजी के अत्यंत निराले भक्त के चरण में शांति पाने के लिए संकट मोचन (दुखहर्ता) श्रीहनुमानजी का सक्रिय रूप से आवाहन करने को प्रेरित भी करते हैं|