श्री गुरु-चरण-रजसे प्रथम मैं अपने हृदय दर्पणको शुद्ध करके - इस प्रकार हनुमान चालीसा आरंभ होती है |
रामायण के भिन्न पात्रोंमें श्री हनुमानजीका एक अपनाही विशेष व्यक्तिमत्व है | श्री हनुमानजी में हम अनेक गुणोंका समन्वय देखने के साथ साथ एक उच्चकोटि के वेद- वेदांत एवं अन्य शास्त्रोंके विद्वान को पातें हैं, किन्तु उनका सर्वश्रेष्ठ गुण उनकी भक्ति है |
अपने दो प्रवचनोंमें परम पूज्य स्वामी तेजोमयानन्दजीने श्री हनुमानजी की भक्ति एवं श्री रामचन्द्रजी के प्रति उनकी सेवा को विस्तारसे दिग्दर्शन कराया है |
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श्री गुरु-चरण-रजसे प्रथम मैं अपने हृदय दर्पणको शुद्ध करके - इस प्रकार हनुमान चालीसा आरंभ होती है |
रामायण के भिन्न पात्रोंमें श्री हनुमानजीका एक अपनाही विशेष व्यक्तिमत्व है | श्री हनुमानजी में हम अनेक गुणोंका समन्वय देखने के साथ साथ एक उच्चकोटि के वेद- वेदांत एवं अन्य शास्त्रोंके विद्वान को पातें हैं, किन्तु उनका सर्वश्रेष्ठ गुण उनकी भक्ति है |
अपने दो प्रवचनोंमें परम पूज्य स्वामी तेजोमयानन्दजीने श्री हनुमानजी की भक्ति एवं श्री रामचन्द्रजी के प्रति उनकी सेवा को विस्तारसे दिग्दर्शन कराया है |