परम पूज्य स्वामी पुरुषोत्तमानन्दजी के अनुसार राजा यदु व श्री अवधूत महाराज के मध्य हुआ संवाद संसारी साधकों के लिए अत्यन्त उपयोगी है | इसलिए उन्होंने मार्गदर्शन की दृष्टी से इसकी विशद व सारगर्भित व्याख्या की है |
श्रुष्टि की समस्त चल-अचल वस्तुओं में भागवत तत्त्व अधिष्ठान रूप में विद्यमान है, इसलिए उन्हें गुरु रूप में स्वीकार कर उनसे सद्गुणों की शिक्षा लेना इस संवाद का मूल आशय है |
स्वामीजी ने बहुत प्रेम पूर्वक साधकों की हितार्थ चौबीस गुरुओं से प्राप्त शिक्षा की सूक्ष्म विवेचना की है | उनके अनुसार एक-एक पाठ का अध्ययन व मनन साधकों को ईश्वर साक्षात्कार की प्राप्ति करा सकने में पूर्ण सक्षम है |
S2022VARIANT | SELLER | PRICE | QUANTITY |
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परम पूज्य स्वामी पुरुषोत्तमानन्दजी के अनुसार राजा यदु व श्री अवधूत महाराज के मध्य हुआ संवाद संसारी साधकों के लिए अत्यन्त उपयोगी है | इसलिए उन्होंने मार्गदर्शन की दृष्टी से इसकी विशद व सारगर्भित व्याख्या की है |
श्रुष्टि की समस्त चल-अचल वस्तुओं में भागवत तत्त्व अधिष्ठान रूप में विद्यमान है, इसलिए उन्हें गुरु रूप में स्वीकार कर उनसे सद्गुणों की शिक्षा लेना इस संवाद का मूल आशय है |
स्वामीजी ने बहुत प्रेम पूर्वक साधकों की हितार्थ चौबीस गुरुओं से प्राप्त शिक्षा की सूक्ष्म विवेचना की है | उनके अनुसार एक-एक पाठ का अध्ययन व मनन साधकों को ईश्वर साक्षात्कार की प्राप्ति करा सकने में पूर्ण सक्षम है |