नाम और नामी इन दोनों में अत्यंत गेहरा सम्बन्ध है| नाम के उच्चारण से जिस व्यक्ति के बारे में हम सोच रहे हैं उसका रूप हमारे मन में प्रकट हो जाता है और जैसे-जैसे हम अधिक सोचने लगते हैं वैसे-वैसे उसका प्रभाव अधिक दृढ़ होने लगता है| मिसाल के तौर पर, जब हम "फूल" कहते हैं तो तुरंत हमारे मन में फूल का चित्र आ जाता है| साहचर्य के पीछे यही प्रमुख तत्त्व है|
भगवान विष्णु के १००० नामों का प्रयोजन हमारा भगवान के प्रति प्रेम दृढ़ करना ही तो है, भले ही उन भगवान को हम जानते हो या नहीं, हमें भगवान तो अत्यंत प्रिय ही हैं| फिर भी कितनी बार और कितनी लगन से हम उन्हें पुकारते हैं? इन नामों के यहाँ दिए गए अर्थ भगवान की प्रभुता की गहराई और महत्व जानने में हमारी सहायता करेंगे|
शरशय्या पर पहुढे हुए भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को विष्णुसहस्रनाम पढ़ाया| इससे उन दोनों को आनन्द और धैर्य की प्राप्ति हुई|
हमें भी उसी आनन्द और धैर्य की प्राप्ति हो|
V2010VARIANT | SELLER | PRICE | QUANTITY |
---|
नाम और नामी इन दोनों में अत्यंत गेहरा सम्बन्ध है| नाम के उच्चारण से जिस व्यक्ति के बारे में हम सोच रहे हैं उसका रूप हमारे मन में प्रकट हो जाता है और जैसे-जैसे हम अधिक सोचने लगते हैं वैसे-वैसे उसका प्रभाव अधिक दृढ़ होने लगता है| मिसाल के तौर पर, जब हम "फूल" कहते हैं तो तुरंत हमारे मन में फूल का चित्र आ जाता है| साहचर्य के पीछे यही प्रमुख तत्त्व है|
भगवान विष्णु के १००० नामों का प्रयोजन हमारा भगवान के प्रति प्रेम दृढ़ करना ही तो है, भले ही उन भगवान को हम जानते हो या नहीं, हमें भगवान तो अत्यंत प्रिय ही हैं| फिर भी कितनी बार और कितनी लगन से हम उन्हें पुकारते हैं? इन नामों के यहाँ दिए गए अर्थ भगवान की प्रभुता की गहराई और महत्व जानने में हमारी सहायता करेंगे|
शरशय्या पर पहुढे हुए भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को विष्णुसहस्रनाम पढ़ाया| इससे उन दोनों को आनन्द और धैर्य की प्राप्ति हुई|
हमें भी उसी आनन्द और धैर्य की प्राप्ति हो|