mumbai 400606 mumbai IN
Chinmaya Vani
mumbai mumbai, IN
+912228034980 https://eshop.chinmayamission.com/s/5d76112ff04e0a38c1aea158/ms.settings/5256837ccc4abf1d39000001/5dfcbe7b071dac2b322db8ab-480x480.png" [email protected]
978-81-7597-373-2 5e0f2076547075197c7ef5f1 Yogavasishtha Sarsangraha (हिंदी) https://eshop.chinmayamission.com/s/5d76112ff04e0a38c1aea158/ms.products/5e0f2076547075197c7ef5f1/images/5e1d8e3e2f6ccc2e14e8bebc/5e1d8e271cf2f22e63273c1a/5e1d8e271cf2f22e63273c1a.png

प्रत्येक व्यक्ति कष्ट में है- धनी, निर्धन, युवा, वृद्ध| संसार में हर चीज़ नष्ट हो रही है| स्थायी कुछ भी नहीं| हमारे सुख अन्तत: दु:खदायीे ही हैं| मनुष्य अपनी सम्पति पर गर्व करता है और नश्वर चीज़ों के पीछे दिन- रात भागता रहता है| इन तथ्यों पर ध्यान देने वाले व्यक्ति के मन में सहज ही इस प्रकार के प्रश्न उठते है -

में कौन हूँ?

संसार का क्या रूप है?

मनुष्य के अस्तित्व का क्या उदेश्य है?

ज्ञान और कथाओं का भंडार, योगविशेष्ट, इन सभी प्रश्नों का समाधान करता है| हिन्दू-संस्कृति का सम्पूर्ण दर्शन इसमें समाहित है|

स्वामी तेजोमयानंदजी ने अनेक आध्यात्मिक पुस्तकों की व्याख्या की है| उनकी स्वरचित पुस्तकों की संख्या भी बहुत बड़ी है| विश्व में दूर-दूर तक भ्रमण कर वे प्रवचन देते है और जनता का वेदान्त से परिचय कराते है|

Y2001
in stock INR 200
Chinmaya Prakashan
1 1

Yogavasishtha Sarsangraha (हिंदी)

SKU: Y2001
₹200
Publisher: Chinmaya Prakashan
ISBN: 978-81-7597-373-2
Language: Hindi
Author: Swami Tejomayananda
Binding: Paperback
No of pages: 182
Tags:
  • Spirituality, Spiritual Knowledge, Philosophy, Awakening
SHARE PRODUCT

Description of product

प्रत्येक व्यक्ति कष्ट में है- धनी, निर्धन, युवा, वृद्ध| संसार में हर चीज़ नष्ट हो रही है| स्थायी कुछ भी नहीं| हमारे सुख अन्तत: दु:खदायीे ही हैं| मनुष्य अपनी सम्पति पर गर्व करता है और नश्वर चीज़ों के पीछे दिन- रात भागता रहता है| इन तथ्यों पर ध्यान देने वाले व्यक्ति के मन में सहज ही इस प्रकार के प्रश्न उठते है -

में कौन हूँ?

संसार का क्या रूप है?

मनुष्य के अस्तित्व का क्या उदेश्य है?

ज्ञान और कथाओं का भंडार, योगविशेष्ट, इन सभी प्रश्नों का समाधान करता है| हिन्दू-संस्कृति का सम्पूर्ण दर्शन इसमें समाहित है|

स्वामी तेजोमयानंदजी ने अनेक आध्यात्मिक पुस्तकों की व्याख्या की है| उनकी स्वरचित पुस्तकों की संख्या भी बहुत बड़ी है| विश्व में दूर-दूर तक भ्रमण कर वे प्रवचन देते है और जनता का वेदान्त से परिचय कराते है|

User reviews

  0/5