स्वामी तेजोमयानन्दजी ने बाल-विहार के बच्चों के लिए आयोजित एक प्रवचन माला में बड़े महत्वपूर्ण और मूलभूत प्रश्नों का उत्तर दिया था|
जीवन क्या है?
उसका उद्देश्य क्या है?
जीने के लिए कौन से नियम आवश्यक हैं?
मन को संयत कैसे करें?
स्वामीजी ने इन शंकाओं का समाधान सरल भाषा में और रोचक शैली में प्रस्तुत किया था| उन्होंने जीवन के तत्त्व को समझते हुए यह भी बताया था कि अनुप्राणित जीवन कैसे जिया जा सकता है|
वही व्याख्यान-माला पुस्तकाकार रूप में " गेम ऑफ़ लाइफ" के नाम से प्रकाशित हुई जिसका हिंदी अनुवाद "जीवन: एक खेल" के रूप में प्रकाशित हुआ|
J2005VARIANT | SELLER | PRICE | QUANTITY |
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स्वामी तेजोमयानन्दजी ने बाल-विहार के बच्चों के लिए आयोजित एक प्रवचन माला में बड़े महत्वपूर्ण और मूलभूत प्रश्नों का उत्तर दिया था|
जीवन क्या है?
उसका उद्देश्य क्या है?
जीने के लिए कौन से नियम आवश्यक हैं?
मन को संयत कैसे करें?
स्वामीजी ने इन शंकाओं का समाधान सरल भाषा में और रोचक शैली में प्रस्तुत किया था| उन्होंने जीवन के तत्त्व को समझते हुए यह भी बताया था कि अनुप्राणित जीवन कैसे जिया जा सकता है|
वही व्याख्यान-माला पुस्तकाकार रूप में " गेम ऑफ़ लाइफ" के नाम से प्रकाशित हुई जिसका हिंदी अनुवाद "जीवन: एक खेल" के रूप में प्रकाशित हुआ|