Swami Tejomayananda
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Inspiring Right Living
Rooted in Wisdom
An Offering of Love
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आध्यात्मिक साधना की सुक्ष्मविषय-वस्तु को बहुत ही सहज शैली और सरल शब्दावली में प्रस्तुत किया गया है और यही इस कृति का सौंदर्य है | आचार्यश्री सामान्य साधक और नौसिखियों के स्तर पर उतर आए हैं और सीधी सादी अर्थगर्भित, पर समझ में आनेवाली भाषा के माध्यम से वे उनको क्रमशः ध्यान की ऊँचाइयों तक पहुँचाने में उचित दिशा-निर्देशन करते है |
ध्यानस्वरूपम साधना सोपान के चार चरणों में सबसे छोटा प्रबन्ध है | मात्र दस श्लोक इसमें है | छोटे छोटे और सीधे सरल | नित्यप्रति के जीवन से लिए गए दृष्टान्तों की सहायता से ये श्लोक इस तथ्य को स्पष्ट करते है कि ध्यान न तो उपासना है, न जप, न एकाग्र चिन्तन है और न कर्म है | ध्यान तो आत्म-स्वरूप में अवस्थिति है; अपने सत्य स्वरूप में प्रतिष्ठित हो जाना ही ध्यान है | तत्पश्चात उसमें निहित सिद्धांत और ध्यान कि तकनीक (प्रविधि) सुगम शैली और सरल भाषा में विस्तार से बतायी गयी है |








