Swami Chinmayananda
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Product Description
Inspiring Right Living
Rooted in Wisdom
An Offering of Love
Product of Bharat
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ज्ञानमूर्ति भगवान आदि शंकराचार्यजी ने अत्यंत गहन विषय का यथचित अर्थ अल्प व् सरल शब्दों में समझाया है|
कथानक: एक दिन आदि शंकराचार्यजी प्रात:काल अपने शिष्यों के साथ परम पवित्र गंगा जी में स्न्नान कर काशी विश्वनाथ मंदिर की ओर जा रहे थे| हाथ में झाड़ू-पंजा लिए हुए चाण्डाल को सामने से आते हुए देखकर बोल उठे ""रे चाण्डाल एक किनारे हट""|
चाण्डाल के उत्तर को सुनकर शंकराचार्यजी दंग रह गये| चाण्डाल ने कहा ""एक शरीर दूसरे शरीर से अलग हो सकता है, किन्तु क्या आत्मा को अलग किया जा सकता है?""
मनीषा पंचकम में केवल पाँच शलोक है, परन्तु जीवनभर विचार एव आचरण के लिए पर्याप्त है|








