अद्वैत तत्वज्ञान से सराबोर "चांगदेव पासष्ठि" संत ज्ञानेश्वर और चांगदेव के बीच हुआ पत्र-रूप संवाद है |
मूल कृति मराठी भाषा में है | पूज्य स्वामी पुरुषोत्तमानन्दजी इस ग्रन्थ का सरस विवेचन मराठी भाषा में तो करते ही रहें हैं, परन्तु हिंदी भाषा जनता-जनार्धन को भी इस ज्ञान का लाभ मिले, इस दृष्टी से उन्होंने हिंदी में यहाँ प्रवचन दिया था | वही प्रस्तुत पुस्तक के स्वरूप में आपके सामने है |
वेदान्त ज्ञान में स्वामीजी की गहरी पैठ है | इसलिए इतने गहन गंभीर विषय को भी इतनी सरल, सहज और सरस अभिव्यक्ति वे दे सके हैं | विश्वास है कि सभी साधक और जिज्ञासु इससे लाभान्वित होंगे और इसका पूरा आनन्द ले पायेंगे |
C2004VARIANT | SELLER | PRICE | QUANTITY |
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अद्वैत तत्वज्ञान से सराबोर "चांगदेव पासष्ठि" संत ज्ञानेश्वर और चांगदेव के बीच हुआ पत्र-रूप संवाद है |
मूल कृति मराठी भाषा में है | पूज्य स्वामी पुरुषोत्तमानन्दजी इस ग्रन्थ का सरस विवेचन मराठी भाषा में तो करते ही रहें हैं, परन्तु हिंदी भाषा जनता-जनार्धन को भी इस ज्ञान का लाभ मिले, इस दृष्टी से उन्होंने हिंदी में यहाँ प्रवचन दिया था | वही प्रस्तुत पुस्तक के स्वरूप में आपके सामने है |
वेदान्त ज्ञान में स्वामीजी की गहरी पैठ है | इसलिए इतने गहन गंभीर विषय को भी इतनी सरल, सहज और सरस अभिव्यक्ति वे दे सके हैं | विश्वास है कि सभी साधक और जिज्ञासु इससे लाभान्वित होंगे और इसका पूरा आनन्द ले पायेंगे |