कठोपनिषद एक बालक की रोचक कथा से प्रारम्भा होता है. यह नौ वर्ष का बालक नचिकेता जानना चाहता है कि मृत्यु के बाद का सत्य क्या है? अपनी जिज्ञासा का समाधान पाने के लिए वह मृत्यु के देवता यमराज के समक्ष निर्भय होकर पहुँचता है.उसका प्रश्न बहुत प्रासांगिक और गम्भीर है कि -"मृत्यु के बाद कोई अस्तित्व रहता है या नहीं रहता और यदि रहता है तो वह क्या है?"
सभी उपनिषदों में कठोपनिषद का विशिष्ट स्थान है. इस में ब्रह्मविद्या व् ध्यान साधना का विस्तृत वर्णन है जो सच्चे साधक को आत्म साक्षात्कार के भव्य द्वार तक पहुँचुाने में पूर्णत:सक्षम है.
K2006VARIANT | SELLER | PRICE | QUANTITY |
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कठोपनिषद एक बालक की रोचक कथा से प्रारम्भा होता है. यह नौ वर्ष का बालक नचिकेता जानना चाहता है कि मृत्यु के बाद का सत्य क्या है? अपनी जिज्ञासा का समाधान पाने के लिए वह मृत्यु के देवता यमराज के समक्ष निर्भय होकर पहुँचता है.उसका प्रश्न बहुत प्रासांगिक और गम्भीर है कि -"मृत्यु के बाद कोई अस्तित्व रहता है या नहीं रहता और यदि रहता है तो वह क्या है?"
सभी उपनिषदों में कठोपनिषद का विशिष्ट स्थान है. इस में ब्रह्मविद्या व् ध्यान साधना का विस्तृत वर्णन है जो सच्चे साधक को आत्म साक्षात्कार के भव्य द्वार तक पहुँचुाने में पूर्णत:सक्षम है.