'मधुराष्टकम' महाप्रभु श्री वल्ल्भाचार्य जी द्वारा रचित अत्यन्त लोकप्रिय एव आनन्द देने वाला स्तोत्र है | इसमें भगवान श्रीकृष्ण का जो प्रेम है,आकर्षण है, माधुर्य है वह हमें अपनी ओर खीचता है | यह अत्यन्त मधुर रचना है |
'मधुराधिपते अखिलं मधुरम' भगवान मधुरता के स्वामी है, इसलिए उनका सब कुछ मधुर है | जगत में जो भी दृश्य, रूप, स्पर्श, रस, गंध, विचार या भावना है और उसमें जो सौन्दर्य है, आकर्षण है, आनन्द है वह सब परमात्मा का है, वस्तु का नहीं |
जब हम भगवान के सुन्दर रूप का, उनका क्रियाओं का, लीलाओ का, प्रेम का चिन्तन करते है तो हमारा हृदय मधुरता से भर जाता है | इसके फलस्वरुप हमारा जीवन भी मधुर, सुखमय और आनन्दमय हो जाता है |
M2016VARIANT | SELLER | PRICE | QUANTITY |
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'मधुराष्टकम' महाप्रभु श्री वल्ल्भाचार्य जी द्वारा रचित अत्यन्त लोकप्रिय एव आनन्द देने वाला स्तोत्र है | इसमें भगवान श्रीकृष्ण का जो प्रेम है,आकर्षण है, माधुर्य है वह हमें अपनी ओर खीचता है | यह अत्यन्त मधुर रचना है |
'मधुराधिपते अखिलं मधुरम' भगवान मधुरता के स्वामी है, इसलिए उनका सब कुछ मधुर है | जगत में जो भी दृश्य, रूप, स्पर्श, रस, गंध, विचार या भावना है और उसमें जो सौन्दर्य है, आकर्षण है, आनन्द है वह सब परमात्मा का है, वस्तु का नहीं |
जब हम भगवान के सुन्दर रूप का, उनका क्रियाओं का, लीलाओ का, प्रेम का चिन्तन करते है तो हमारा हृदय मधुरता से भर जाता है | इसके फलस्वरुप हमारा जीवन भी मधुर, सुखमय और आनन्दमय हो जाता है |