प्रेम से संसार गतिशील है |
प्रेम ही वह तत्व है जो हमें जोड़ता है, जीवित रखता है और आनन्दित करता है |
गोस्वामी तुलसीदासजी कृत रामचरितमानस में शुद्ध प्रेम अर्थात भक्ति का हर रूप दॄष्टि गोचर होता है | इस अमर कृति में भक्ति की जैसी प्रस्तुति हुई है, उसे परम पूज्य गुरूजी स्वामी तेजोमयानंदजी ने बड़े ही संवदेनशील व् रचनात्मक दॄष्टि से सत्र बद्ध किया है |
निश्चित रूप से पाठकगण भक्ति के इन सहज और गहरे सूत्रों तथा उनकी सरल व्याख्या को पसन्द करेंगे |
M2010VARIANT | SELLER | PRICE | QUANTITY |
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प्रेम से संसार गतिशील है |
प्रेम ही वह तत्व है जो हमें जोड़ता है, जीवित रखता है और आनन्दित करता है |
गोस्वामी तुलसीदासजी कृत रामचरितमानस में शुद्ध प्रेम अर्थात भक्ति का हर रूप दॄष्टि गोचर होता है | इस अमर कृति में भक्ति की जैसी प्रस्तुति हुई है, उसे परम पूज्य गुरूजी स्वामी तेजोमयानंदजी ने बड़े ही संवदेनशील व् रचनात्मक दॄष्टि से सत्र बद्ध किया है |
निश्चित रूप से पाठकगण भक्ति के इन सहज और गहरे सूत्रों तथा उनकी सरल व्याख्या को पसन्द करेंगे |