महाभारत के अनेक प्रसंगों में कहीं धर्म की और कहीं परमार्थ की विस्तृत चर्चा हुई है| वे स्थल प्रायः 'गीता' के नाम से प्रसिद्द हैं|
सनत्सुजातीय भी इसी प्रकार महाभारत का एक अंग है| महाभारत ग्रन्थ के उद्योगपर्व में सनत्सुजात ने महाराज धृतराष्ट्र को जो उपदेश दिया है उसी का नाम सनत्सुजातीय है|
यह प्रधानरूप से ब्रह्मविद्या का ग्रन्थ है| इसलिए भगवान आदि शंकराचार्य ने इस पर अपना भाष्य दिया है| उनकी भाष्य रचना के बाद यह ग्रन्थ विशेष रूप से प्रसिद्धि में आ गया और श्रीमद्भगवद्गीता की भाँति इसका अध्ययन स्वतंत्र रूप से होने लगा|
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महाभारत के अनेक प्रसंगों में कहीं धर्म की और कहीं परमार्थ की विस्तृत चर्चा हुई है| वे स्थल प्रायः 'गीता' के नाम से प्रसिद्द हैं|
सनत्सुजातीय भी इसी प्रकार महाभारत का एक अंग है| महाभारत ग्रन्थ के उद्योगपर्व में सनत्सुजात ने महाराज धृतराष्ट्र को जो उपदेश दिया है उसी का नाम सनत्सुजातीय है|
यह प्रधानरूप से ब्रह्मविद्या का ग्रन्थ है| इसलिए भगवान आदि शंकराचार्य ने इस पर अपना भाष्य दिया है| उनकी भाष्य रचना के बाद यह ग्रन्थ विशेष रूप से प्रसिद्धि में आ गया और श्रीमद्भगवद्गीता की भाँति इसका अध्ययन स्वतंत्र रूप से होने लगा|