आत्मानुभूति का मार्ग इस खोज से प्रारम्भ होता है कि जीवन का स्रोत या कारण क्या है ? किसके द्वारा, कैसे और क्यों हम सब में चेतना व्याप्त हुई - जो जीवनदायनी शक्ति है तथा हमें जगत् को जानने व प्रतिक्रिया करने की शक्ति देती है। इससे सम्बन्धित ज्ञान ही केनोपनिषद् का मुख्य विषय है। गद्यात्मक व पद्यात्मक शैली से युक्त यह उपनिषद् एक छोटा ग्रन्थ है जो परब्रह्म परमात्मा अर्थात् शाश्वत् सत्य का न केवल विवेचन करता है बल्कि उसकी अनुभूति का मार्ग भी स्पष्टता से बताता है।
स्वामी चिन्मयानन्द जी द्वारा की गई केनोपनिषद् की विस्तृत व्याख्या हास्य-विनोद तथा सटीक उपमाओं व दृष्टान्तों के कारण बहुत रोचक एवं सरल है। यह पूर्वकाल के बहुमूल्य ज्ञान की वर्तमान संदर्भ में अत्यन्त उपयोगी प्रस्तुति है।
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आत्मानुभूति का मार्ग इस खोज से प्रारम्भ होता है कि जीवन का स्रोत या कारण क्या है ? किसके द्वारा, कैसे और क्यों हम सब में चेतना व्याप्त हुई - जो जीवनदायनी शक्ति है तथा हमें जगत् को जानने व प्रतिक्रिया करने की शक्ति देती है। इससे सम्बन्धित ज्ञान ही केनोपनिषद् का मुख्य विषय है। गद्यात्मक व पद्यात्मक शैली से युक्त यह उपनिषद् एक छोटा ग्रन्थ है जो परब्रह्म परमात्मा अर्थात् शाश्वत् सत्य का न केवल विवेचन करता है बल्कि उसकी अनुभूति का मार्ग भी स्पष्टता से बताता है।
स्वामी चिन्मयानन्द जी द्वारा की गई केनोपनिषद् की विस्तृत व्याख्या हास्य-विनोद तथा सटीक उपमाओं व दृष्टान्तों के कारण बहुत रोचक एवं सरल है। यह पूर्वकाल के बहुमूल्य ज्ञान की वर्तमान संदर्भ में अत्यन्त उपयोगी प्रस्तुति है।